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अजीब विडंबना है की हम लोग चाहते है|कि सब कुछ सही हो, गवर्नमेंट ये नही करती , पानी की समस्या है,सड़को मे जाम है, भ्रास्ताचार बढ़ रहा है, बिना पैसे के काम नही होता है,,,,,,,,ना जाने ऐसी कितनी बाते है,,,,,,पर आप कभी ये सोचते है कि हम कितना सहयोग दे रहे है सब बात को सुधारने मे………..सायद उत्तर.10% से भी कम हो….कोई कुछ करना चाहता ही..नही,,,यहा सब केवल उम्मीद पर रहते है या भगवान भरोसे,,,यह सब तब तक नही बदलेगा जब तक सब लोग साथ नही सोचेंगे इस दिसा मे….सिर्फ़ सोचे ही ना उसको पर्दे पर उतारना भी है|
कोई यातायात नियम फॉलो नही करता बत्ती जलने से पहले ही खुद बढ़ते रहते है बिना किसी की परवाह किए और यहा वही लोग सामिल है जो समझते है की हम काफ़ी काबिल है पर सच्चाई यह है की सबसे बड़े जाहिल वही है ,,,,,,,,खुद ग़लत काम करते है और फिर बड़ी-2 बाते करते है| सोचिए और काफ़ी कुछ बदल सकते है हम सब लोग| और परिणाम आप के सामने होगा? और इसके लिए आज जो हो रहा है | यदि सब लोग अपनी ज़िम्मेदारी समझे तो ना किसी को अनसन मे बैठना पड़ेगा ना रैलिया निकालनी पड़ेगी?
राहुल यादव
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